विश्व के 7 अजूबे || 7 wonders of the world || Historical Place




ताजमहल



ताजमहल अपनी सुंदरता तथा विशालता के कारण दुनिया भर में जाना और पहचाना जाता है साथ ही ये अपनी प्रेम कहानी के लिए भी दुनिया भर में मशहूर है ताजमहल दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारतों में से एक  है । 

ताजमहल का निर्माण पांचवें मुग़ल बादशाह शाहजहां ने अपनी सबसे चहीती बीबी मुमताज़ महल की याद उत्तर प्रदेश के अगर शहर में यमुना नदी के तट पर कराया था। 

ताजमहल की नींव लकड़ी पर बनी हुई है इस लकड़ी की खासियत ये है कि इस लकड़ी को जितनी नमी मिलती है ये उतनी ही मज़बूत होती है और इस को नमी यमुना नदी से मिलती है। 

ताजमहल का निर्माण कार्य 1631 से 1653 तक चला। इसके निर्माण में 22 सालो का समय लगा। वैसे तो ताजमहल का निर्माण 1643 में ही पूरा हो गया था। लेकिन इसके बाकी काम को पूरा करने 10 साल और लग गए।

22 एकड़ में फैले इस मकबरे को बनाने में 22 साल का समय लगा, इसे बनाने के लिए 20 हज़ार से भी अधिक मजदूरों ने अपना योगदान दिया तथा 1000 हाथियों से भी काम लिया गया। ताजमहल का सिर्फ गुम्बद बनाने में 15 साल का समय लगा और 'बाकि 7 सालों में शेष काम किया गया। 

ताजमहल को बनाने के लिए शाहजहां ने विदेशों से 37 माहिर कारीगरों को बुलाया था। जिसमे उस्ताद अहमद लाहोरी  इस कार्य के प्रमुख थे। 

ताजमहल को बनाने में 28 किस्म के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था ये पत्थर बगदाद, अफगानिस्तान, तिब्बत, मिश्र, रूस, ईरान आदि जगहों से मंगवाये गए थे। इन पत्थरों से ताजमहल पर यह प्रभाव पड़ता है कि ताज महल सुबह में गुलाबी नज़र आता है दिन में सफ़ेद तथा रात को सुनहरा नज़र आता है। 

ताजमहल को 1983 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोवर घोषित किया गया था। लेकिन ताजमहल अपनी सुंदरता तथा विशालता के कारण 2007 यूनेस्को द्वारा एक बार फिर विश्व धरोवर बनने में सफल हुआ। 

चीन की विशाल दीवार 



चीन की विशाल दीवार या ग्रेट वॉल ऑफ चाइना पत्थर और मिट्टी से बनी हुई एक किलेनुमा दीवार है इसका निर्माण 5 वीं  शताब्दी ईसा पूर्व से 16 ई० तक हुआ। इस दीवार का इतिहास 2300  वर्ष से ज्यादा पुराना है।

चीन की विशाल दीवार की लंबाई 6400 किमी है इस दीवार की कई सारी शाखाएं भी है अगर सारी शाखाओं को जोड़ दिया जाए तब इसकी लंबाई 8851.8 किमी हो जाएगी इस दीवार की चौड़ाई इतनी है कि 5 घुड़सवार या 10 पैदल सैनिक आराम से एक साथ चल सकते हैं ।

इस दीवार को किसी एक शासक के द्वारा नहीं बनाया गया था बल्कि इस दीवार को चीन के विभिन्न शासकों द्वारा उत्तरी हमलावरों से बचने के लिए बनाया गया था। लेकिन फिर भी 1211 में चंगेज खान ने इस दीवार को तोड़कर चीन पर हमला कर दिया था

जब इस दीवार को बनाया जा रहा था तो इस दीवार के पत्थरों को जोड़ने के लिए चावल के आटा का इस्तेमाल किया गया था

1960-70 के बीच में लोग इस दीवार की ईंटे चुरा कर घर बनाने लगे थे बाद में सरकार ने इस पर रोक लगा दी। लेकिन चोरी अभी भी होती है। तस्कर बाजार में इसकी एक ईंट की कीमत 6 पाउंड तक है। 

चीन की विशाल दीवार को सबसे बड़ा कब्रिस्तान भी कहा जाता है क्योंकि कहा जाता है कि इस दीवार को बनाते समय जो मजदूर कड़ी मेहनत नहीं करता था उसे इस ही दीवार में दफना दिया जाता था। इस दीवार को बनाने में करीब 10 लाख से भी ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवाई थी।

चीन की विशाल दीवार को 1970 में पर्यटनों के लिए खोल दिया गया था। 

चीन की विशाल दीवार को 1987 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोवर घोषित कर दिया गया गया था।  

माचू पिच्चू 




माचू पिच्चू दक्षिण अमेरिका के पेरू में स्थित कोलम्बस-पूर्व युग, इंका सभ्यता से सम्बंधित एक ऐतिहासिक स्थल है 

माचू पिच्चू समुन्द्र तल से 2430 मीटर की ऊचांई पर उरुबाम्बा घाटी के ऊपर पहाड़ पर स्थित है

माचू पिच्चू को इंकाओं का खोया हुआ शहर भी कहा है। 

माचू पिच्चू का निर्माण 1430 ई0 में इनके शाशकों के आधिकारिक स्थल के रूप किया गया था। 

माचू पिच्चू इंका सभ्यता के सबसे खास प्रतीकों में से एक माना जाता है। 

माचू पिच्चू  की खोज एक अमेरिकी इतिहासकार हीरम बिधम जी ने की थी। 

माचू पिच्चू  इंकाओं की पुरातन 'शैली के आधार पर बनाया गया था। इसमें पॉलिश किये हुए पत्थरों का भी उपयोग किया गया था। माचू पिच्चू में इंतीहुआताना (सूर्य का मंदिर) एवं तीन खिड़कियों वाला कक्ष प्रमुख हैं। 

माचू पिच्चू को 1981 में पेरू का ऐतिहासिक देवालय घोषित किया गया था तथा 7 जुलाई 2007 को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोवर घोषित किया गया। 

क्राइस्ट द रिडीमर 



क्राइस्ट द रिडीमर ब्राज़ील के रियो डी जेनेरो तिजुक फॉरेस्ट नेशनल में कोर्कोवाडो पर्वत की चोटी पर ईसा मसीह की एक विशाल प्रतिमा है 

ईसा मसीह की इस विशाल प्रतिमा की 9.5 मीटर आधार सहित 39.6  मीटर ऊंचाई है तथा इसकी चौड़ाई 30 मीटर है और ये 635 टन बजनी है
 
ईसाई धर्म के प्रतीक के रूप में ब्राजील और रियो की पहचान क्राइस्ट द रिडीमर मजबूत कंक्रीट और सोस्तोन से 1922-1931 के बीच में बनकर तैयार हुई थी

इस प्रतिमा को बनाने का विचार 1850 के दशक में पहली बार आया था जब कैथोलिक पादरी पेड्रो रोमारिया बॉस ने राजकुमारी इसाबेल से धार्मिक स्मारक को मनाने के लिए फंड मांगा था लेकिन राजकुमारी ईसाबेल ने उस पर कुछ ध्यान नहीं दिया ब्राजील के गणतंत्र बनने के बाद 1889 में इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया दूसरा प्रस्ताव रियो के कैथोलिक सर्कल द्वारा 1921 में दिया गया था इस प्रस्ताव के समर्थन में दान राशि और हस्ताक्षर जुटाने के लिए सेमना डु मॉनुमेंटो नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था

7 जुलाई 2007 को क्राइस्ट द रिडीमर को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया गया था

पेट्रा या पेत्रा 



पेट्रा जॉर्डन के म'आन राज्य में होर नामक पहाड़ी पर स्थित एक प्राचीन तथा ऐतिहासिक नगरी है इस ऐतिहासिक नगरी की खोज 1812 ईस्वी में स्विस खोजकर्ता जोहान लुडविग वर्कहार्ड द्वारा की गई थी।

पेट्रा के निर्माण का सही वक्त तो नहीं मालूम लेकिन कहा जाता है यह इसका निर्माण 1200 ईसा पूर्व में किया गया होगा । यह नगरी नाबतीयन राज्य की राजधानी के रूप में विकसित होना शुरू हुई थी। 

पेट्रा 106 ईसवी में रोमन साम्राज्य के अधीन आ गई थी लेकिन 363 ईस्वी में इस नगरी में आये भूकंप के कारण इसका काफी बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था उस समय यह नगरी रेशम और मसाले के व्यपार के लिए प्रमुख जंक्शन थी। 

वैज्ञानिकों के अनुसार इस नगरी का 15% भाग ही अब तक खोजा गया है बाकी के 85% भाग से हम अभी तक अनजान हैं।  

पेट्रा लाल चोटियों से घिरा हुआ एक शहर है पेट्रा नगरी रोज रेड एनके बलुआ पत्थरों की पहाड़ी पर बनी हुई है इसी कारण इस नगरी को रोज सिटी के नाम से भी जाना जाता है पेट्रा शब्द यूनानी भाषा के पेट्रोस शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ होता है चट्टानें। 

1985 में यूनेस्को द्वारा पेट्रा को विश्व धरोहर घोषित किया गया था लेकिन अपनी खूबसूरत बनावट के कारण 2007 में पेट्रा ने एक बार फिर दुनिया के सात अजूबों में अपनी जगह बनाने में कामयाबी हासिल की।

चिचेन इट्ज़ा



चिचेन इट्ज़ा का अर्थ भी 'इट्ज़ा के कुएँ के मुहाने पर' है।

कैस्टिलो चिचेन इट्ज़ा की सबसे प्रसिद्ध छवि है। कैस्टिलो का मतलब स्पेनिश में महल है। कैस्टिलो एक पिरामिड के आकार का एक स्मारक है। पिरामिड के बाहर चार सीढ़ियां हैं। 900 से 1050 ई0  के बीच चिचेन इट्ज़ा एक शक्तिशाली राजधानी बन गया था। इसने उस समय उत्तरी और मध्य युकाटन को भी नियंत्रित किया था।

चिचेन इट्ज़ा की सभी इमारतें पत्थर से बनी हैं। यह भी माना जाता है कि माया ने अपने किसी भी मंदिर, पिरामिड या महलों के निर्माण के लिए पहिया का उपयोग नहीं किया। चिचेन इट्ज़ा की कुछ सबसे प्रसिद्ध इमारतें हैं उनमें शामिल हैं: द वॉरियर टेम्पल, एल कैस्टिलो और द बॉल कोर्ट।

कोलोसियम 



कोलोसियम अंडाकार सरंचना में बना हुआ है जिसमें 50,000 से 80,000 दर्शक खेल देखने आते थे। इटली में बना यह अब तक सबसे बड़ा एलिप्टिकल एंफ़ीथियेटर (रंगभूमि) है, जिसका निर्माण 70 ईसा पूर्व हुआ था।
कोलोसियम का  क्षेत्र 24,000 वर्ग मीटर  है जिसके साथ ही यह 189 मीटर लंबा, 156 मीटर चौड़ा है एवं इसकी  दीवारों की ऊंचाई 157 फीट है और कोलोसियम की परिधि मूल रूप से 545 मीटर है।

कोलोसियम के प्रत्येक अंतिम हिस्से पर विशिष्ट प्रकार की त्रिकोणीय ईंट के वेज आधुनिक जोड़ हैं, जो 19 वीं शताब्दी की शुरुआत में दीवार को किनारे करने के लिए बनाए गए थे। कोलोसियम के वर्तमान के शेष भाग वास्तव में मूल आंतरिक दीवार ही शेष बची है।

कोलोसियम के इतिहासकारों के अनुसार यह 87,000 लोगों को समायोजित कर सकता है, जो रोमन समाज के कठोर स्तरीकृत स्वरूप को दर्शाती थी परंतु आधुनिक अनुमानों ने यह आंकड़ा लगभग 50,000 रखा है।
अखाड़े की इमारत के अंदर रेत से ढका एक लकड़ी का फर्श शामिल है जो विस्तृत भूमिगत संरचना को कवर करता है, इसे हाइपोगियम कहा जाता है।

कोलोसियम की इमारत के अंदर दो-स्तरीय भूमिगत सुरंग बनी हुई है। जिसमें जानवरों को रखने के लिए पिंजरे इत्यादि शामिल हैं इसमें प्रतियोगिता शुरू होने से पहले ग्लेडियेटर्स और जानवरों को रखा जाता था।
विश्व के 7 अजूबे || 7 wonders of the world || Historical Place विश्व के 7 अजूबे || 7 wonders of the world || Historical Place Reviewed by M.H. KHAN on March 19, 2021 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.